पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for simply ₹299 Restricted Interval Provide. HURRY UP!
ख़बर सुनें
ख़बर सुनें
महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व में तीन दलों की महाविकास आघाड़ी सरकार गठित होने के बाद से ही केंद्र और राज्य सरकार के बीच अहम टकराव जारी है। इस बीच केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने महाराष्ट्र की सरकारी बिजली कंपनी महावितरण के निजीकरण के लिए निविदा प्रस्ताव भेजा है। जो राज्य सरकार को मंजूर नहीं है। इसलिए बिजली कंपनी के निजीकरण के मुद्दे पर एक बार फिर केंद्र और राज्य सरकार के बीच नया विवाद शुरू हो सकता है।
महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री बोले, नहीं होने देंगे महावितरण का निजीकरण
दरअसल, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने महाराष्ट्र राज्य विद्युत आपूर्ति कंपनी लिमिटेड (महावितरण) के निजीकरण के लिए निविदा प्रस्ताव भेजा है। महावितरण कंपनी मुंबई के पूर्वी उपनगर के कुछ हिस्सों सहित पूरे महाराष्ट्र में बिजली की आपूर्ति करती है। इस कंपनी की करीब सवा लाख करोड़ की संपत्ति है, लेकिन कंपनी पर 69,000 करोड़ रुपये कर्ज का बोझ भी है।
महावितरण कंपनी बकाया बिजली बिल, बिजली की चोरी, तथा सरकारी कार्यालयों द्वारा बिजली बिल भरने में उदासीनता जैसे मामलों की वजह से भीषण आर्थिक संकट में है। समझा जा रहा है कि इसकी वजह से केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने घाटे में चल रही राज्य की बिजली कंपनी को निजी हाथों में देने की कवायद शुरू की है। जबकि राज्य सरकार बिजली कंपनी के निजीकरण के खिलाफ है।
महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व में तीन दलों की महाविकास आघाड़ी सरकार गठित होने के बाद से ही केंद्र और राज्य सरकार के बीच अहम टकराव जारी है। इस बीच केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने महाराष्ट्र की सरकारी बिजली कंपनी महावितरण के निजीकरण के लिए निविदा प्रस्ताव भेजा है। जो राज्य सरकार को मंजूर नहीं है। इसलिए बिजली कंपनी के निजीकरण के मुद्दे पर एक बार फिर केंद्र और राज्य सरकार के बीच नया विवाद शुरू हो सकता है।
महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री बोले, नहीं होने देंगे महावितरण का निजीकरण
दरअसल, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने महाराष्ट्र राज्य विद्युत आपूर्ति कंपनी लिमिटेड (महावितरण) के निजीकरण के लिए निविदा प्रस्ताव भेजा है। महावितरण कंपनी मुंबई के पूर्वी उपनगर के कुछ हिस्सों सहित पूरे महाराष्ट्र में बिजली की आपूर्ति करती है। इस कंपनी की करीब सवा लाख करोड़ की संपत्ति है, लेकिन कंपनी पर 69,000 करोड़ रुपये कर्ज का बोझ भी है।
महावितरण कंपनी बकाया बिजली बिल, बिजली की चोरी, तथा सरकारी कार्यालयों द्वारा बिजली बिल भरने में उदासीनता जैसे मामलों की वजह से भीषण आर्थिक संकट में है। समझा जा रहा है कि इसकी वजह से केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने घाटे में चल रही राज्य की बिजली कंपनी को निजी हाथों में देने की कवायद शुरू की है। जबकि राज्य सरकार बिजली कंपनी के निजीकरण के खिलाफ है।
via Growth News https://growthnews.in/%e0%a4%ae%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a5%8d%e0%a4%b0-%e0%a4%ac%e0%a4%bf%e0%a4%9c%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a4%82%e0%a4%aa%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%95/